इस वर्ष होली का पर्व 29 मार्च 2021 को मनाया जाएगा। होलिका दहन के बाद ही होली का त्यौहार मनाया जाता है होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक लगता है जिसके दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
होली को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है ये त्यौहार हर वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इस वर्ष यह त्यौहार 29 मार्च 2021 यानी सोमवार को मनाया जा रहा है।
होली की पौराणिक-प्रामाणिक कथा
होली की पौराणिक कथा के अनुसार होली पर्व को मनाने की शुरुआत हिरण्यकश्यप के समय से की जाती है। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप खुश नहीं थे।और इसी बात को लेकर उन्होंने प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, किन्तु भक्त प्रह्लाद प्रभु विष्णु की भक्ति को नहीं छोड़ना चाहते थे हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई।और अपनी बहन व प्रल्हाद की बुआ होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। क्योंकि होलिका को आग में जलकर न मरने का वरदान प्राप्त था लेकिन भगवान विष्णु की असीम कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रहलाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए,
तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू की गयी
होलिका दहन कैसे किया जाता है?
होलिका दहन से कुछ दिन पहले ही कुछ सूखी लकड़ियां एकत्रित करके होलिका दहन के दिन रात के समय शुभ मुहूर्त में घर के वरिष्ठ व्यक्ति से अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है इसके अगले दिन रंगो का त्यौहार (होली ) मनाया जाता है
विभिन्न क्षेत्रों में कैसे मनाई जाती है होली?
बरसाना की लठमार होली बहुत प्रसिद्ध है और ब्रज में मनाई जाने वाली होली भी विश्व में प्रसिद्ध है कई जगह पर होली के दिन कई तरह की मिष्ठान बनाए जाते है मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवे दिन बाद रंगपंचमी मनाई जाती है
होलिका दहन का शुभ मुहरत :
होलिका दहन तिथि :- रविवार ( 28 मार्च)
होलिका दहन शुभ मुहूर्त :- शाम 6 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 55 मिनट