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Happy Mahashivratri Quotes in Hindi 2022 : महाशिवरात्रि व्रत की कथा
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3 महीना agoon
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भारत में विभिन प्रकार के पर्व मनाये जाते हैं, लेकिन हिन्दू धर्म में शिवरात्रि को एक महापर्व का दर्जा दिए गया है l वैसे तो वर्ष के हर महीने में शिवरात्रि आती है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शिवरात्रि का अपना अलग ही महत्त्व है इसलिए इसे महाशिवरत्रि के नाम से जाना जाता है l वर्ष 2022 में शिवरात्रि का आयोजन 1st मार्च को होगा l इस दिन भगवlन शिव की पूजा बड़े धूम धाम से की जाती है,सुबह ही जलाभिषेक के लिए मंदिरों में भीड़ लग जाती है l इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं, माना जाता है की भगवान शिव सब भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं l इस पावन दिन की सब लोगों को बहुत – बहुत शुभकामनाएं, इस आर्टिकल में Happy Mahashivratri Quotes in Hindi 2022 के अलग अलग स्टेटस, इमेजेज, कोट्स दिए गए हैं जिन्हे आप अपने दोस्तों, परिवार के साथ साझा कर सकते हैं l
Mahashivratri Story ( महाशिवरात्रि व्रत की कथा ) :
महाशिवरात्रि की कथा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है l इस कथा के अनुसार पुरातन काल में एक शिकारी था, जिसका नाम चित्रभानु था l यह शिकारी एक साहूकार का कर्जदार था l कर्ज न दे पाने के की स्थिति में साहूकार ने उसे एक शिवमठ में बंदी बना दिया l संयोग से जिस दिन से बंदी बनाया उस दिन महाशिवरात्रि थी l साहूकार ने इस दिन अपने घर में पूजा का आयोजन किया l पूजा के बाद कथा का पाठ किया गया l शिकारी भी पूजा और कथा में बताई गई बातों को बातों को ध्यान से सुनता रहा l
पूजा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद साहुकार ने शिकारी को अपने पास बुलाया और उससे अगले दिन ऋण चुकाने की बात कही l इस पर शिकारी ने वचन दिया और साहुकार ने उसे मुक्त कर दिया l शिकारी जंगल में शिकार के लिए आ गया l शिकार की खोज में उसे रात हो गई l जंगल में ही उसने रात बिताई l शिकारी एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने लगा l बेलपत्र के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था l जो बेलपत्रों से ढक चुका था l इस बात का शिकारी को कुछ भी पता नहीं था l आराम करने के लिए उसने बेलपत्र की कुछ सखाएं तोड़ीं, इस प्रक्रिया में कुछ बेलपत्र की पत्तियां शिवलिंग पर गिर पड़ीl शिकारी भूखा प्यासl उसी स्थान पर बैठा रहा l इस प्रकार से शिकारी का व्रत हो गया l
तभी गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने के लिए आई l शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर हिरणी को मारने की जैसी ही कोशिश की वैसे ही हिरणी बोली मैं गर्भ से हूं, शीघ्र ही बच्चे को जन्म दूंगी l तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे? यह उचित नहीं होगा l मैं अपने बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी, तब तुम मेरl शिकार कर लेना l शिकारी ने तीर वापिस ले लिया l हिरणी भी वहां से चली गई l धनुष रखने से कुछ बिल्व पत्र पुन: टूटकर शिवलिंग पर गिर गए l इस प्रकार उससे अनजाने में ही प्रथम पहर की पूजा पूर्ण हो गई l कुछ देर बाद एक और हिरणी उधर से निकली l पास आने पर शिकारी ने तुरंत ही धनुष पर तीर चढ़ा कर निशाना लगा दिया l लेकिन तभी हिरणी ने शिकारी से निवेदन किया कि मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं, कामातुर विरहिणी हूं, अपने प्रिय को खोज रही हूं, मैं अपने पति से मिलकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी l शिकारी ने इस हिरणी को भी जाने दिया l
इसी दौरान रात्रि का आखिरी पहर भी बीत गया, इस बार भी उसके धनुष से कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे l इस प्रकार उसके द्वारा दूसरे पहर की पूजन प्रक्रिया भी पूर्ण हो गई l इसके बाद तीसरी हिरणी दिखाई दी जो अपने बच्चों के साथ उधर से गुजर रही थी l शिकारी ने धनुष उठाकर निशाना साधा l शिकारी तीर को छोड़ने वाला ही था कि हिरणी बोली मैं इन बच्चों को इनके पिता को सौंप कर लौट आऊंगी l मुझे अभी जानें दें l शिकारी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया l उसने बताया कि दो हिरणी को मैं छोड़ चुका हूं l हिरणी ने कहा कि शिकारी मेरा विश्वास करो, मै वापिस आने का वचन देती हूं l
शिकारी को हिरणी पर दया आ गई और उसे भी जाने दिया l उधर भूखा प्यासा शिकारी अनजाने में बेल की पत्तियां तोड़कर शिवलिंग पर फेंकता रहा l सुबह की पहली किरण निकली तो उसे एक मृग दिखाई दिया l शिकारी ने खुश होकर अपना तीर धनुष पर चढ़ा लिया, तभी मृग ने दुखी होकर शिकारी से कहा यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन हिरणियों और बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मार दो l देर न करो क्योंकि मैं यह दुख सहन नहीं कर सकता हूं l मैं उन हिरणियों का पति हूं l यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी छोड़ दो l मैं अपने परिवार से मिलकर वापिस आ जाऊंगा l शिकारी ने उसे भी जाने दिया l सूर्य पूरी तरह से निकल आया था और सुबह हो चुकी थी l शिकारी से अनजाने में ही व्रत, रात्रि-जागरण, सभी प्रहर की पूजा और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी l भगवान शिव की कृपा से उसे इसका फल तुरंत प्राप्त हुआ l
भगवान शिव की कृपा से शिकारी का हृदय बदल गया शिकारी का मन निर्मल हो गया l कुछ देर बाद ही शिकारी के सामने संपूर्ण मृग परिवार मौजूद था l ताकि शिकारी उनका शिकार कर सके लेकिन शिकारी ने ऐसा नहीं किया और सभी को जाने दियl l महाशिवरात्रि के दिन शिकारी द्वारा पूजन की विधि पूर्ण करने के कारण उसे मोक्ष प्राप्त हुआ l शिकारी की मृत्यु होने पर यमदूत उसे लेने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापिस भेज दिया l शिवगण शिकारी को लेकर शिवलोक आ गए l भगवान शिव की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु स्वयं के पिछले जन्म को याद रख पाए और महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए l
शिव जी मंत्र :
ॐ भूर् भुवः स्वः।तत् सवितुर्वरेण्यं।भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ॥
Mahashivratri Quotes in Hindi 2022:
Mahashivratri Wishes in Hindi 2022
ना पूछो मुझसे मेरी पहचान, मैं तो भस्मधारी हूँ l
भस्म से होता जिनका श्रृंगार मैं उस महाकाल का पुजारी हूँ l
अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चाण्डाल का,
काल भी उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का..
निराश नहीं करते बस एक बार सचे मन से
भोले शंकर से फ़रियाद करो !!
शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ,
अंत काल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ,
भोले शंकर की पूजा करो , ध्यान चरणों में इनके धरो..
Happy Mahashivratri Quotes in Hindi 2022
कैसे कह दूँ कि मेरी, हर दुआ बेअसर हो गई,
मैं जब जब भी रोया, मेरे भोलेनाथ को खबर हो गई..
अदभुत भोले तेरी माया, अमरनाथ में डेरा जमाया।
नीलकंठ में तेरा साया, तू ही मेरे दिल में समाया। ..
Mahashivratri 2022 Images
मेरे महाकाल तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ,
तुम साथ हो महाकाल तो में अनंत हूँ..
महाकाल का नारा लगा के दुनिया मै हम छा गये,
दुश्मन भी छुपकर बोले वो देखो महाकाल के भक्त आ गये!!
मुझमें कोई छल नहीं, तेरा कोई कल नहीं
मौत के ही गर्भ में, ज़िंदगी के पास हूँ
अंधकार का आकार हूँ. प्रकाश का मैं प्रकार हूँ
मैं महाकाल हूँ, मैं महाकाल हूँ, मैं महाकाल हूँ..
जख्म भी भर जायेगे, चेहरे भी बदल जायेगे,
तू करना याद महाकाल को तुझे दिल आैर दिमाग मे
सिर्फ आैर सिर्फ महाकाल नजर आयेगे…
Mahashivratri 2022 Quotes in hindi
दिखावे की मोहब्बत से दूर रहता हूँ मैं,
इसलिए महाकाल के नशे मे चूर रहता हू मैं !!
घनघोर अँधेरा ओढ़ के, मैं जन जीवन से दूर हूँ,
श्मशान में हूँ नाचता… मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ..
जो सिर्फ तू है सोचता… केवल वो मैं नहीं…
मैं महाकाल हूँ, मैं महाकाल हूँ, मैं महाकाल हूँ..
काल का भी उस पर क्या आघात हो.
जिस बंदे पर महाकाल का हाथ हो..
Happy Mahashivratri Quotes in Hindi 2022
ना गिन के दिया ना तोल के दिया,
मेरे महाकाल ने जिसे भी दिया दिल खोल के दिया..
हँस के पी जाओ भांग का प्याला..
क्या डर है जब साथ है अपने त्रिशुल वाला..
ये कैसी घटा छाई हैं, हवा में नई सुर्खी आई है,
फ़ैली है जो सुगंध हवा में , जरुर महादेव ने चिलम लगाई है!!
कर्ता करे न कर सकै, शिव करै सो होय.
तीन लोक नौ खंड में,महाकाल से बड़ा न कोय..
मेरे जिस्म जान में भोलेनाथ नाम तुम्हारा है,
आज अगर मैं खुश हूँ तो यह एहसान भी तुम्हारा है!!
थामा हुआ है हाथ मेरा आपने मुझको मालूम है,
मेरे हर पल हर लम्हे में मेरे भोलेनाथ, प्यार तुम्हारा है..
Mahashivratri 2022 images
हीरे मोती और जेवरात तो सेठ लोग पहनते है.
हम तो भोले के भक्त है इसीलिए “रुद्वाक्ष” पहनते है..
खुल चूका है नेत्र तीसरा शिव शम्भू त्रिकाल का,
इस कलयुग में वो ही बचेगा जो भक्त होगा महाकाल का !
दुश्मन बनकर मुझसे जीतने चला था नादान,
मेरे महाकाल से मोहब्बत कर लेता तो मै खुद हार जाता..
शिव की शक्ति, शिव की भक्ति, ख़ुशी की बहार मिले,
शिवरात्रि के पावन अवसर पर
आपको ज़िन्दगी की एक नई अच्छी शुरुवात मिले…
सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सब का पालनहार है,
सजा दे या माफी महादेव, तू ही हमारी सरकार है..
जिनके रोम-रोम में शिव हैं वही विष पिया करते हैं ,
जमाना उन्हें क्या जलाएगा, जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं ..
शिव की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलों को सुरूर मिलता है;
जो भी जाता है भोले के द्वार,
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता है..
Happy Mahashivratri Quotes in Hindi 2022
शिव की बनी रहे आप पर छाया, पलट दे जो आपकी किस्मत की काया,
मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में, जो कभी किसी ने भी न पाया..
Mahashivratri Quotes in hindi 2022
हवाओं में गजब का नशा छा गया,
लगता है महादेव का त्यौहार आने वाला है..
ऐ जन्नत अपनी औकात में रहना हम तेरी जन्नत के मोहताज नही.
हम गुरू भोलेनाथ के चरणों के वासी है वहाँ तेरी भी कोई औकात नही..
Happy Mahashivratri Quotes in Hindi 2022
मैनें तेरा नाम लेके ही सारे काम किये है
महादेव और लोग समझते है की बन्दा किस्मत वाला है..
कृपा जिनकी मेरे ऊपर तेवर भी उन्हीं का वरदान है
शान से जीना सिखाया जिसने “महाकाल ” उनका नाम है..
तैरना है तो समंदर में तैरो, नदी, नालों में रखा क्या है,
प्यार करना है तो महाकाल से करो
इन बेवफाओ में रखा क्या है ..
खुशबु आ रही है कहीँ से “गांजे” और “भांग” की.
शायद खिड़की खुली रह गयी है ‘
मेरे भोले भंडारी के दरबार की…
सारा जहाँ है जिसकी शरण में
मन है उस शिव जी के चरण में
बने उस शिवजी के चरणों की धुल
आओ मिल कर चढ़ाये हम श्रद्धा के फूल..
शिव की बनी रहे आप पर छाया
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया
मिले आपको वो सब इस अपनी ज़िन्दगी में
जो कभी किसी ने भी ना पाया..
मुझमें कोई छल नहीं, तेरा कोई कल नहीं
मौत के ही गर्भ में, ज़िंदगी के पास हूँ
अंधकार का आकार हूँ, प्रकाश का मैं प्रकार हूँ
मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ..
मेरे शिव तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ
तुम साथ हो शिव तो में अनंत हूँ..
दुनिया की हर मुहब्बत मैने,स्वार्थ से भरी पायी है
पवित्र प्यार की खुशबू सिर्फ मेरे महादेव के चरणों से आयी है.
काश हमे फूल बनाया होता और शिव के हार में सजाया होता
जब हम गिरते हार से टूटकर शिव के चरणों मे तो गिरने का मज़ा ही कुछ और आया होता..
पी के भांग जमा लो रंग
जिन्दगी बीते खुशियों के संग
लेकर नाम शिव भोले का
दिल में भर लो शिवरात्रि की उमंग
महा शिवरात्रि की हार्दिक बधाई..
भोले की भक्ति में मुझे डूब जाने दो
शिव के चरणों में शीश झुकाने दो,
आई है शिवरात्रि मेरे भोले बाबा का दिन
आज के दिन मुझे भोले के गीत गाने दो…
कर्ता करे न कर सके,शिव करे सो होय
तीन लोक नौ खंड में, शिव से बड़ा न कोय…
काल का भी उस पर क्या आघात हो
जिस बंदे पर महाकाल का हाथ हो..
आई है शिव जी की रात्रि,
करेंगे शिव जी का जाप,
करेंगे कामना समृद्धि की,
मिट जायेंगे सारे पाप..
आज जमा लो भांग का रंग
आपकी जिंदगी बीते खुशियों के संग
भगवान भोले की कृपा बसरे आप पर
जीवन में भर जायें नयी उमंग…
आज है महाशिवरात्रि
करिये भोले भंडारी का जाप
उनके जाप से धुलते हैं सारे पाप
“महाशिवरात्रि की शुभकामनायें”
बनी रहे शिव जी की आप पर माया
पलट जाये आपके किस्मत की काया
जिंदगी में आप हासिल करें वो मुकाम
जो आज तक किसी ने नहीं पाया..
जो कहे “ॐ नमः शिवाय”
उसका सब कष्ट दूर हो जाय..
शिव की शक्ति, शिव की भक्ति, ख़ुशी की बहार मिले,
शिवरात्रि के पावन अवसर पर
आपको ज़िन्दगी की एक नई अच्छी शुरुवात मिले..
जो अमृत पीते हैं उन्हें देव कहते हैं,
और जो विष पीते हैं उन्हें देवों के देव “महादेव” कहते हैं..
एक पुष्पं एक बेल पत्रं
एक लोटा जल की धार
करदे सबका उद्धार, जय भोले बम-बम भोले..
जख्म भी भर जायेगे, चेहरे भी बदल जायेगे,
तू करना याद महाकाल को
तुझे दिल और दिमाग मे सिर्फ आैर सिर्फ
महाकाल नजर आयेगे ….
जिनके रोम-रोम में शिव हैं वही विष पिया करते हैं
जमाना उन्हें क्या जलाएगा,जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते…
भोले बाबा का आशीर्वाद मिले आपको,
उनकी दुआ का प्रसाद मिले आपको,
आप करे अपनी जिन्दगी में खूब तरक्की,
और हर किसी का प्यार मिले आपको,
जय भोले शिव शंकर बाबा की जय….
मेरे महाकाल तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ ,
तुम साथ हो महाकाल तो में अनंत हूँ..
ना पूछो मुझसे मेरी पहचान ,
मैं तो भस्मधारी हूँ , भस्म से होता जिनका श्रृंगार,
मैं उस महाकाल का पुजारी हूँ..
जगह-जगह में शिव हैं हर जगह में शिव है,
है वर्तमान शिव और भविष्य भी शिव हैं,
आप सभी को महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए..
भोले बाबा की पूजा करेंगे
तभी सारे बिगड़े काम बनेंगे..
यहाँ से आप हर प्रकार की Mahadev Images प्राप्त कर सकते हैं l आप चेक कर सकते हैं यहाँ शिवरात्रि की व्रत कथा भी मौजूद है। इस कथा को आप अपने प्रिय जनो के साथ साँझा कर सकते हैं । यहाँ पर हर तरह के भोले बाबा सम्बंधित Quotes available हैं l आपको यहां विभिन latest photos, status, wishes मिल जाएंगी l
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Mahavir Jayanti 2022: महावीर जयंती तिथि , महत्व
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1 महीना agoon
अप्रैल 14, 2022By
admin
Mahavir Jayanti 2022 जैन धर्म में महावीर जयंती सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। महावीर जयंती का त्योहार दुनिया भर में जैन लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन उनके जन्मदिन की खुशी में भक्ति यात्रा निकाली जाती है। इस साल महावीर जयंती 14 अप्रैल, गुरुवार को है।
महावीर जयंती का इतिहास
छुट्टी चैत्र के हिंदू महीने के वैक्सिंग (बढ़ते) के 13 वें दिन मनाया जाता है जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में होता है।
महावीर जयंती बुद्ध के समकालीन महावीर और 24 वें और अंतिम तीर्थंकर (महान संत) के जन्म का जश्न मनाती है।
मूल रूप से वर्धमान के नाम से जाने जाने वाले महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व या 615 ईसा पूर्व में हुआ था। जैन धर्म के दिगंबर मत का कहना है कि भगवान महावीर का जन्म 615 ईसा पूर्व में हुआ था, लेकिन श्वेतांबरों का मानना है कि उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था। हालांकि, दोनों संप्रदायों का मानना है कि महावीर सिद्धार्थ और त्रिशला के पुत्र थे।
किंवदंती के अनुसार, ऋषभदेव नाम के एक ब्राह्मण की पत्नी देवानंद ने उसे गर्भ धारण किया, लेकिन देवताओं ने भ्रूण को त्रिशला के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया।
श्वेतांबर संप्रदाय के अनुसार, माना जाता है कि गर्भवती मां ने 14 शुभ स्वप्न देखे थे। (दिगंबर संप्रदाय के अनुसार यह 16 स्वप्न थे)। ज्योतिषियों ने इन सपनों की व्याख्या की और भविष्यवाणी की कि बच्चा या तो सम्राट या तीर्थंकर होगा।
एक दशक से अधिक समय तक, वह एक तपस्वी थे, घूमते थे, भोजन के लिए भीख माँगते थे, और कम पहनते थे। फिर उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया, तीर्थंकर बने और अपनी मृत्यु से 30 साल पहले तक पढ़ाया।
जैन धर्म का वर्तमान तपस्वी धर्म महावीर को उनके प्रमुख पैगंबर के रूप में उलट देता है। 3.5 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा प्रचलित, जैन धर्म। वे सभी जीवों के प्रति अहिंसा के मार्ग का अनुसरण करते हैं। कुछ लोग सांस लेते समय अनजाने में किसी कीट को मारने की संभावना को रोकने के लिए फेस मास्क पहन सकते हैं।
महावीर जयंती कैसे मनाई जाती है?
महावीर जयंती प्रार्थना और उपवास के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। यह अवकाश पूर्वी राज्य बिहार में विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहां महावीर का जन्म आधुनिक शहर पटना के पास हुआ था। पारसनाथ मंदिर, कलकत्ता में एक बड़ा उत्सव आयोजित किया जाता है।

वैसाखी (बैसाखी) 2022
हिंदुओं और सिखों के बीच मनाया जाने वाला, वैसाखी Baisakhi 2022 एक वसंत फसल उत्सव है जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व काफी पेचीदा है। ऐसा माना जाता है कि सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने इसी दिन प्रसिद्ध खालसा पंथ की स्थापना की थी।
बैसाखी 2022 कब मनाया जाता है?
बैसाखी हर वर्ष 14 अप्रैल को विभिन राज्यों हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब में बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है
बैसाखी का ऐतिहासिक महत्व
कहानी यह है कि वैसाखी पर, गुरु गोबिंद सिंह ने किसी भी सिख को चुनौती दी थी जो अपनी जान देने के लिए तैयार था। लगभग एक हजार लोगों की भीड़ में, कुल मिलाकर पांच लोगों ने स्वेच्छा से भाग लिया। गुरु ने स्वयंसेवकों को मारने के बजाय, उन्हें “अमृत” के साथ बपतिस्मा दिया और “खालसा” नामक संत-सैनिकों के पांच सदस्यीय समूह का गठन किया। खालसा का प्रतिनिधित्व करने वाले इन पांच पुरुषों को केश (बाल), कत्चेरा (अंडरवियर), कंघा (कंघी), कृपाण (तलवार) और कारा (स्टील की अंगूठी) का प्रतीक पांच के रूप में जाना जाता था। उस घातक दिन के बाद, सिखों के औपचारिक बपतिस्मा के दौरान अमृत या “अमृत” का छिड़काव एक आम बात हो गई है।
ऐतिहासिक महत्व के अलावा, यह दिन रबी की फसल के पकने का भी प्रतीक है और पंजाब के लोगों के बीच इसे धूमधाम से मनाया जाता है।हालाँकि, हिंदू धर्म में, वैसाखी को नए साल के दिन के रूप में मनाया जाता है और भारत के कुछ राज्यों में इसे भव्यता के साथ मनाया जाता है।
भारत में बैसाखी कैसे मनाई जाती है ?
गुरुद्वारों को विभिन्न रंगों की रोशनी से सजाया जाता है, जबकि सिख “नगर कीर्तन” का आयोजन करते हैं – पांच खालसा के नेतृत्व में एक जुलूस। जुलूस को सिख ग्रंथों से भजन गाते लोगों द्वारा चिह्नित किया जाता है। कुछ बड़े जुलूस सम्मान के रूप में गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति रखते हैं।
पंजाब की सच्ची संस्कृति को दर्शाने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पारंपरिक लोक नृत्य या भांगड़ा, अनिवार्य रूप से एक फसल उत्सव नृत्य, इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में काफी आम है। लोग स्थानीय मेलों में आते हैं जो पंजाबी संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं।
भारत के अन्य हिस्सों में, हिंदू इस दिन को नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। लोग दिन की शुरुआत करने से पहले पवित्र गंगा और अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। पारंपरिक पोशाक पहनना, स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाना और दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाना काफी आम है। नया उद्यम शुरू करने के लिए भी वैसाखी का दिन शुभ माना जाता है।
Baisakhi 2022 वैशाखी पूरे भारत में मनाई जाती है, भले ही अलग-अलग राज्यों में नाम अलग-अलग हों। त्योहार को सभी के लिए समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
बैसाखी 2022 समारोह
त्योहार मनाने के लिए लोग नाचते हैं, गाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। वे इस दौरान होने वाली परेड देखने का आनंद लेते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों नृत्य करते हैं। पुरुष बंगरा रूप का प्रदर्शन करते हैं जबकि महिलाएं घटना को मनाने के लिए गिद्दा रूप का प्रदर्शन करती हैं। लोग छुट्टी का खाना और मिठाइयाँ तैयार करते हैं और आपस में बाँटते हैं। यह सिखों के लिए एक विशेष दिन रहा है, जो जुलूस निकालते हैं और इस दिन को बड़ी कट्टरता के साथ मनाते हैं। वैसाखी भारत के उत्तरी राज्यों हरियाणा और पंजाब में भव्य रूप से मनाया जाता है।
सिख सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और विशेष प्रार्थना करने के लिए निकटतम गुरुद्वारे में जाते हैं। सामूहिक प्रार्थना के बाद वहां मौजूद सभी लोगों को कड़ा प्रसाद बांटा जाएगा। उसके बाद, वे स्वयंसेवकों द्वारा परोसे जाने वाले लंगा का आनंद लेते हैं। यह त्योहार स्कूलों, कॉलेजों और खेतों में भी मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
गुरुद्वारा वैशाखी की वास्तविक सुंदरता को धारण करने वाले सर्वोत्तम स्थान हैं। वे पूरी तरह से सजाए गए हैं और कई लोगों को आकर्षित करने के लिए कीर्तन आयोजित करते हैं। वैसाखी Baisakhi 2022 के दौरान भी यही समारोह होने की उम्मीद है।
बैसाखी के अनुष्ठान 2022
एक आम प्रार्थना में भाग लेने के लिए सुबह सिखों द्वारा गुरुद्वारों का दौरा किया जाएगा। ग्रंथ साहिब को दूध से स्नान कराया जाएगा। उपस्थित लोगों को मिठाई बांटी जाएगी। दोपहर के समय सिखों द्वारा ग्रंथ साहिब की परेड निकाली जाएगी। त्योहार का सार्वजनिक परिवहन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। त्योहार की घटनाओं के कारण, सार्वजनिक परिवहन के कार्यक्रम में गड़बड़ी हो सकती है।
बैसाखी Baisakhi 2022 मनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान
अमृतसर: यदि आप वैसाखी 2022 मनाने के लिए सबसे अच्छी जगह की तलाश में हैं, तो अमृतसर शहर की यात्रा करने पर विचार करें। वास्तव में, यह हर साल हजारों सिखों द्वारा दौरा किया जाता है। शहर का स्वर्ण मंदिर वह स्थान है जहां सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा की नींव रखी थी। आगंतुक दिन में विशेष प्रार्थना करते हैं।
दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली, इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती है। इसमें देश के सभी हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। लोग विशेष प्रार्थना करने और त्योहार की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए गुरुद्वारों में इकट्ठा होते हैं। दिल्ली भी वैसाखी पार्टियों का आयोजन करती है। इस जगह पर भी विचार करें।
पंजाब: यदि आप वास्तविक उत्सव देखना चाहते हैं, तो वैसाखी 2022 के दौरान पंजाब जाने पर विचार करें। दिल्ली की तरह, राज्य में नृत्य और गायन संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। त्योहार का भोजन रेस्तरां द्वारा परोसा जा रहा है। राज्य का भ्रमण अवश्य करें।
हरियाणा: हरियाणा हर साल एक विशाल मेला आयोजित करता है। बहुत से लोग इस राज्य में वैसाखी मेले में भाग लेने के लिए आते हैं, जो बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा स्कूली बच्चों के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। शाम को वयस्कों के लिए गायन और नृत्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
चंडीगढ़: चंडीगढ़ इस त्योहार के दौरान सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। पर्यटक शहर के गुरुद्वारों में जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। हरियाणा की तरह ही वे शाम के समय गायन और नृत्य संगीत का आनंद ले सकते हैं।
जालंधर: जालंधर शहर वैशाखी को आकर्षक रूप से मनाता है। मुख्य उत्सवों में नृत्य, गायन आदि शामिल हैं। पुरुष और महिला दोनों लोक नृत्य करते हैं। यह देखने के लिए एक दावत है।

राम नवमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो कि हर साल चैत्र महीने के नौवें दिन (हिंदू कैलेंडर में पहला महीना) मनाया जाता है – Ram Navami 2022 इस साल यह 10 अप्रैल को पड़ेगी । भगवान राम के जन्म का सम्मान करने के लिए हिंदू राम नवमी मनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि हिंदू मानते हैं कि भगवान राम सर्वोच्च भगवान हैं और दुनिया भर में रहने वाले सभी हिंदुओं के दिलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ?
राम नवमी का इतिहास
राम नवमी अयोध्या के राजा दशरथ को भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह ज्ञात है कि राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं, कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। तीनों रानियां बहुत लंबे समय तक एक बच्चे को जन्म नहीं दे सकीं।
राजा दशरथ ने एक पवित्र अनुष्ठान किया जिसे “पुत्रकामेष्ठी यज्ञ” के रूप में जाना जाता है, जिसे एक ऋषि वशिष्ठ ने सुझाया था। अनुष्ठान में, राजा ने अपनी सभी पत्नियों को एक बच्चा होने की इच्छा को पूरा करने के लिए ‘पायसम’ परोसा। नतीजतन, राजा को हिंदू महीने के नौवें दिन चित्रा के रूप में एक बच्चे का आशीर्वाद मिला। रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, जबकि अन्य रानियों ने लक्ष्मण और भरत को जन्म दिया।
राम नवमी Ram Navami 2022 हिंदू समाज में उच्च और निचली जातियों के लोगों द्वारा मनाई जाने वाली पांच प्रमुख छुट्टियों में से एक है। भगवान राम को हिंदू भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। हालांकि इस दिन को कई भारतीय राज्यों में छुट्टी के रूप में घोषित किया जाता है, लेकिन इसे अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। हिंदू इस दिन को मंदिरों में जाकर, उपवास करके और भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए मनाते हैं। यह वसंत त्योहार स्पष्ट रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत के विचार को बढ़ावा देता है।
राम नवमी के बारे में पांच रोचक तथ्य
राम को पूर्णता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है
राम को रामचंद्र के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें पूर्णता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो अपने परिवार के प्रति अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं।राम का जन्म दोपहर में हुआ था
दंतकथा के अनुसार, यह ज्ञात है कि राम का जन्म अयोध्या में दोपहर के समय हुआ था।
राम के भाई-बहन
राम जी के तीन भाई थे, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न।
राम ने सीता से विवाह किया
राम ने सीता से विवाह किया जो विदेह के राजा की पुत्री थी।
रामायण में राम की कथा लिखी गई है
राम की पूरी कहानी रामायण में लिखी गई है, जो एक प्राचीन भारतीय संस्कृत ग्रंथ है, जो हिंदू शास्त्र का एक हिस्सा है।
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