Muslim On UCC: Unifrom Civil Code की बात आते ही Muslims और Personal Law का जिक्र शुरू हो जाता है. आखिर Personal Law में ऐसी क्या बात है, जो UCC के आने पर Muslim से छिनने का डर है.
Unifrom Civil Code: Lok Sabha Elections के पहले देश में Unifrom Civil Code (UCC) को लेकर बहस तेज हो गई है. PM Modi के एक बयान के बाद इस बात की चर्चा उठने लगी है कि क्या Central Government Uniform Civil Code लागू करने की तैयारी में है. PM Modi ने भोपाल में BJP के Booth workers को संबोधित करते हुए कहा कि एक घर में 2 Role हो तो क्या घर चल पाएगा? ऐसे में Dual System से देश कैसे चलेगा?
India Muslim Personal Law Board ने बुलाई बैठक
PM Modi के बयान के बाद Political Tussle शुरू हो गया है. Opposition ने इसे distraction की कोशिश बताया है. वहीं, Muslims की सबसे बड़ी संस्था All India Muslim Personal Law Board ने बैठक बुलाई, जिसमें इस पुरे मसले पर खूब चर्चा की गई. बैठक में UCC को लेकर एक Draft बनाने का निर्णय लिया गया है, जिसे Law Commission को सौंपा जाएगा. Draft में शरीयत(इस्लामी) के जरूरी हिस्सों का जिक्र होगा. आइए समझते हैं, Personal Law के तहत Muslims को क्या छूट मिली है. UCC के आने से क्या प्रभाव होगा, जिन्हें लेकर Muslim चिंता में हैं.
UCC से Muslims को क्या परेशानी?
Marriage
India में Muslim पुरुषों को 4 Marriage की इजाजत है. एक धारणा है कि Muslim man ज्यादा शादियां करते हैं, लेकिन Indian Muslims में एक से अधिक Marriage का चलन Hindus या दूसरे Religions की तरह ही है. हालांकि, 1961 के बाद से जनसंख्या के दौरान polygamy के आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं. इस बारे में National Family Health Survey (NFHS) का ही Data अब मौजूद है. 2019-21 के दौरान NFHS-5 का Data कहता है 1.9 % Muslim Women ने माना है कि उनकी पति की दूसरी Wife हैं. 1.3 % Hindu और अन्य Religions की 1.6 % महिलाओं ने पति की दूसरी Wife की बात स्वीकार की है. इससे पता चलता है कि Muslim भी अब 4 Marriage के पक्षधर नहीं है, लेकिन वो Islam में किसी तरह की नहीं चाहते, इसलिए वे UCC के खिलाफ हैं.
Divorce
Muslims में divorce को लेकर अपना Islam Law है. शरीयत में इस बारे में विस्तार से है, जिसके तहत Muslims को Personal Law में छूट मिली है. शरिया divorce का Law, India में मौजूद दूसरे Religions के Law या Special Marriage Act से अलग है.
विरासत
Muslim Women को विरासत में हिस्से का अधिकार Islam के आगमन के साथ ही है, लेकिन उनके sharing का हिसाब-किताब अलग है. मौजूदा दौर में Hindus का विरासत Law अलग है. Hindus में Boy और Girl को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है. Muslims को इस मामले में Interference का डर बना हुआ है.
Adoption
Islam में Adopt लेने की इजाजत नहीं है. India में Adopt लेने का अधिकार है, लेकिन Personal Law के कारण Muslims को इस Law से बाहर रखा गया है. इस वजह से कोई Childless person किसी बच्चे या बच्ची को Adopt नहीं ले सकता है.
Marriage की Age
India में लड़कियों की Marriage की न्यूनतम Age 18 साल रखी गई है, जबकि Personal Law में Muslim Girl के लिए 15 साल के बाद Marriage की अनुमति दी गई है. यहां एक समस्या है, India में child marriage prohibition act भी है, जो Underage girls की Marriage किए जाने को अपराध बताता है. इसी साल March में Supreme Court के सामने ऐसा ही मामला उठ चुका है, जिस पर Supreme Court ने विचार करने को कहा था.
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